आज भी महिलाओं के साथ भेदभाव और उत्पीडऩ के किस्से समाप्त नहीं हुए हैं लेकिन ‘अबला होने की ग्रंथि से सदियों से ग्रसित होने के कारण वे अपने दर्द और आक्रोश की अभिव्यक्ति नहीं कर पातीं। गुलाबी गैंग की जिला कमांडर अंजू शर्मा ने महिलाओं को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए मुखर होना सिखाया जिससे अब हालात बदलते नजर आने लगे हैं।
कोंच तहसील के सामी गांव की रहने वाली अंजू शर्मा में शुरू से ही लोगों को संगठित करने और अन्याय के खिलाफ जूझ जाने में अभिरुचि रही है।
उन्होंने शुरूआत स्वयं सहायता समूह के गठन से की। जब गांव की महिलाओं ने उनके पास आना शुरू किया तो उनके घर की हालत और आपबीती भी सामने आने लगी। गांव में कई महिलाएं पति की शराब और जुएं की आदत से परेशान थीं जिससे बच्चों की पढ़ाई तक बर्बाद हो रही थी। अगर पति को रोकें तो वे मारपीट पर उतारू हो जाते थे। अंजू ने महिलाओं की ओर से मोर्चा संभाला और इसमें पूरा साथ दिया उनके पति राजेश कुमार शर्मा ने। जिसके घर की शिकायत आती अंजू महिलाओं को लेकर उसके दरवाजे पहुंच जातीं।
पुरुषों को इसका बहुत बुरा लगा, उन्होंने अपनी पत्नियों को अंजू के पास जाने से रोकना चाहा लेकिन वे नहीं मानीं। आखिर में उन्हें स्थितियों से समझौता करना पड़ा। राजेश कहते हैं कि गांव के लोग उनसे कभी-कभी परिहास करते हैं कि अब तो घर में औरतों का शासन हो गया है। पहले पत्नी मायके जाने के लिए डरते-डरते इजाजत मांगती थी लेकिन अब अधिकार पूर्वक कहती है कि मुझे मायके जाना है। अंजू ने बाद में लाचार विधवाओं और वृद्ध महिलाओं को पेंशन दिलाने में प्रधानों द्वारा की जाने वाली टालमटोल के खिलाफ मुहिम छेड़ दी। क्षेत्र में ऐसे मामले सामने आने वे सारे आवेदन इकट्ठा कर प्रधानों के पास पहुंच जातीं। महिलाओं के तेवर देख प्रधान को मजबूरन सारे आवेदन अग्रसारित करने पड़ते।
राजेश एमएससी पास हैं और शिक्षण कार्य करते थे। उन्होंने अंजू की सफलता बढ़ती देखी तो वे नौकरी छोड़कर उनका पूर्णकालिक साथ देने को तत्पर हो गये। 2 साल पहले अंजू को अतर्रा में संपत पाल से मिलाने ले गये। संपत पाल भी अंजू से बेहद प्रभावित हुयीं और कुछ ही दिनों बाद उरई में आकर उन्होंने अंजू को गुलाबी गैंग का जिला कमांडर बनाने की घोषणा कर दी। शुरूआत में अंजू के संगठन में केवल 150 महिलायें शामिल थीं। आज इनकी संख्या बढ़कर लगभग 3500 हो गयी है। महिलाओं पर कहीं जोर जुल्म होता हो अंजू पूरे फौज फाटे के साथ थाना, तहसील, ब्लाक से लेकर कलेक्ट्रेट तक जा पहुंचती हैं। अपने बच्चे की ट्यूटर के साथ दुष्कर्म करने वाले करोड़पति गुटखा व्यापारी को पुलिस में काफी पैसा खर्च करने के बावजूद उन्हीं की वजह से जेल जाना पड़ा। वे हर तहसील दिवस में महिलाओं की सामूहिक समस्याओं को लेकर अधिकारियों की अच्छी खबर लेती हैं। गत 24 जुलाई को तो वे 200 लाठीधारी महिलाओं के साथ लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास पर पहुंच गईं जिससे हड़कंप मच गया।
मुख्यमंत्री उस दिन नयी दिल्ली में नये राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में व्यस्त थे। बाद में उनके निर्देश पर अधिकारियों ने महिलाओं की पूरी बात सुनी। उन्होंने महिलाओं के पेंशन संबंधी प्रकरण रखे जिन पर तत्काल उचित कार्रवाई कराने का आश्वासन दिया गया। संपत पाल ने अब उन्हें पूरे बुंदेलखंड का प्रभारी बना दिया है।
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments