Menu
Jagran Logo
जागरण होम
जागरण ब्लॉग
रीडर ब्लॉग
न्यूज़
पॉलिटिक्स
मनोरंजन
सामाजिक मुद्दे
खेल
धार्मिक
वीडियो
अन्य
ब्लॉगर्स
जागरण ब्लॉग
रीडर ब्लॉग
न्यूज़
पॉलिटिक्स
मनोरंजन
सामाजिक मुद्दे
खेल
धार्मिक
वीडियो
अन्य
ब्लॉगर्स
blogid : 11660 postid : 60
Home
Reader Blog
Others
अक्षरादेवी धामः जहां से हुई थी लिपि की शुरुआत
मुक्त विचार
478 Posts
412 Comments
मात्राओं से बना यंत्र जिसकी अक्षराधाम पर पूजा की जाती है।
लिपि की शुरुआत ही अक्षराधाम पीठ से मानी जाती है। बेतवा किनारे प्राकृतिक रमणीयता से सुसज्जित इस क्षेत्र में स्थित उक्त मंदिर में इसी कारण किसी प्रतिमा की बजाय अक्षरों पर लगने वाली साढ़े तीन मात्राओं के एक यंत्र की पूजा होती है। नवरात्र के बाद पड़ने वाली एकादशी के दिन यहां विशेष मेला लगता है, जिसमें कई जनपदों के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
माना जाता है कि बुंदेलखंड में सबसे पहले आर्य हरे-भरे जालौन जनपद में आए। इतिहासकार डॉ. डीके सिंह अंग्रेजों के समय लिखे गए कई शोधग्रंथों का हवाला देते हुए बताते हैं कि यहां ईसा पूर्व चेदिवंश का शासन रहा। पुराने इतिहास की वजह से यहां जगह-जगह आध्यात्मिक पौराणिक व ऐतिहासिक धरोहरें बिखरी पड़ी हैं, लेकिन कालचक्र की उथल-पुथल में इनका इतिहास विलुप्त हो चुका है। अक्षरादेवी धाम भी ऐसी ही धरोहरों में एक है। वैसे भी दुर्गमता के कारण जल परिवहन की अहमियत खत्म होने के बाद यह क्षेत्र मुख्य धारा से कट गया था। बाद में दक्षिण भारत से आए संन्यासी ब्रह्म कृष्णस्वामी ने यहां प्रवास किया। इस दौरान उनकी प्रेरणा से इस मंदिर की प्रतिष्ठा बहाल हुई। मंदिर के पास बने विशाल सरोवर का उनकी प्रेरणा से सुंदरीकरण हुआ और कोटरा के जगराम नामदेव ने यहां एक सरोवर खुदवाया जिसमें से भीषण गर्मियों में भी शीतल जल निकलता है। मंदिर के पार्श्व में एक अक्षय कुंड है जिसे कभी रीता नहीं देखा गया। कोलकाता में दैनिक विश्वामित्र के संस्थापक मूलचंद्र अग्रवाल इसी क्षेत्र के निवासी थे। उन्होंने और उनके वंशजों ने मंदिर के आसपास श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए अतिथिगृह बनवाए। जिला प्रशासन ने भी पर्यटन विकास के अंतर्गत कई बार इस मंदिर के आसपास वनीकरण व अन्य सौंदर्यीकरण के कार्य कराए। हालांकि, आज मंदिर की स्थिति पर उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा जितनी जरूरत है।
यहां चौसठ योगिनियों की विक्रम संवत ११११ में बनी मठियों का जीर्णोद्धार अभी तक नहीं कराया गया जिससे जर्जर हो वे ध्वस्त प्राय हो चुकी हैं और उनके साथ महत्वपूर्ण पुरा अवशेषों के दफन होने का खतरा पैदा हो गया है। अक्षरादेवी धाम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें न बलि चढ़ती है और न कोई अन्य वाममार्गी साधना होती है। यह माना जाता है कि मनुष्य की बोली को जब शंकर के डमरू ने स्वर के रूप में व्यवस्थित किया, इसके बाद लिपि की शुरुआत हुई। किवदंती है कि लिपि का उद्गम अक्षरा देवी पीठ से हुआ। इस कारण यहां केवल बौद्धिक साधना मान्य है। नारियल तक चढ़ाने की परम्परा नहीं है क्योंकि इसे बलि पूजा का अंग माना जाता है। नवरात्र पर यहां विशेष आराधना के लिए श्रद्धालु पूरे नौ दिन प्रवास करते हैं।
Tags:
kp sing
kp singh
orai
top hindi blogs
अक्षरा देवी
अक्षरादेवी धाम
अक्षरों की देवी
ज्योतिष
धर्म
नवरात्रि
बुंदेलखंड
माता वैष्णो
हिंदी ब्लॉग
हिंदी ब्लॉग्स
Read Comments
Post a comment
Leave a Reply
Cancel reply
You must be
logged in
to post a comment.
Topic of the week
लिखें ब्लॉग अफगानिस्तान के मौजूदा हालात से क्रिकेट पर पड़ने वाले असर
किसान आंदोलन पर क्या सोचते हैं आप ब्लॉग में लिखें अपने विचार
आईपीएल 2020 पर क्या हैं आपके विचार लिखें ब्लॉग लोगों तक पहुंचाएं
अभिनेता सुशांत की मौत के पीछे की क्या कहानी है और कौन जिम्मेदार है
मोदी सरकार के 4 साल पूरे इसपर क्या हैं आपके विचार लिखें ब्लॉग
पीएम की चीन यात्रा पर क्या है आपके विचार लिखें ब्लॉग
Most Read Blogs
N/A
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our
Privacy Policy
and
Cookie Policy
.
OK
Read Comments