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शराब-जुआ : न बाबा न, पत्नी से नहीं पिटना

मुक्त विचार
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नशामुक्ति की प्रेरणा।
नशामुक्ति की प्रेरणा।

पति को परमेश्वर मानने के बावजूद उनकी शराबखोरी व जुए की लत से परेशान इटहा गांव की महिलाओं ने जब लाठी थाम ली तो पत्नी के हाथों पिटने के खौफ से पतियों ने दुव्र्यसनों से तौबा करने में ही भलाई समझी।

कुठौंद विकास खंड का इटहा गांव सलेमपुर ग्राम पंचायत से जुड़ा है। कुछ समय से इस गांव के गरीब वर्ग के पुरुषों को शराब और जुआ की लत ने ऐसा जकड़ा कि घरों में फांकाकशी की नौबत आ गयी। कामकाज नहीं, उल्टे शराब पीकर घर आना और पत्नी, बच्चों को मारना-पीटना उनकी आदत बन गया। नशाखोरी के चलते लोगों की जमीन बिकने लगी पर अब मुन्नी देवी की पहल से यहां की सूरत बदलने लगी है। मुन्नी देवी का विवाह 1982 में इस गांव के रामअïवतार के साथ हुआ था। शादी के कुछ दिनों बाद ही उन्हें अपनी दुर्दशा का बोध होने लगा। इसी बीच रामअवतार की शराब पीने की आदत ने जोर पकड़ा और उसने कामकाज ही बंद कर दिया। तब परिवार चलाने के लिये मुन्नी को काम करना पड़ा लेकिन कुछ नहीं सुधरा क्योंकि रामअïवतार मुन्नी की कमाई भी शराब उड़ा देता था। इसी दौरान मुन्नी देवी के तीन बेटियां और दो बेटे हो गये। वह इन बच्चों को किसी तरह पालती-पोसती रही। पति को कोई चिंता न थी लेकिन मुन्नी ने प्रयास कर बेटियों के हाथ पीले कर दिये। पुत्र पिंटू और भूप सिंह भी बड़े हो रहे थे लेकिन रामअवतार नहीं सुधर रहा था तब मुन्नी देवी ने कुछ ऐसा करने की ठान ली जिससे उनका पति रास्ते पर आ सके।

रामअवतार जब भी शराब पीकर आता तो वह उसकी पिटाई शुरू कर देती। मुन्नी के आक्रामक तेवरों ने रामअवतार को भयभीत कर दिया तो उसने लुक-छिपकर शराब पीना शुरू कर दिया। मुन्नी को पता चला कि कुठौंद मार्ग पर एक ढाबे पर जाकर वह शराब पीता है। वह अपने पुत्र के साथ वहां पहुंची और रामअवतार को खंभे से बांधकर पीटते हुये खासा सबक सिखाया। इसके बाद रामअवतार ने शराब से तौबा कर ली। मुन्नी पहले डाब से रस्सी बनाती थी अब मनरेगा में काम करने जाती है। मुन्नी की देखादेखी अन्य महिलायें भी आगे आयीं। गांव की ऊषा देवी ने भी अपने पति को इसी तरह सुधारा। उसके पति चरन सिंह के पास 10 बीघा जमीन थी लेकिन बुरी आदतों की वजह से सात बीघा बिक गयी। शराब छोड़ चुके पति बाद में जुआ खेलने लगे। मुन्नी के इस कारवां में घरों में इसी तरह की स्थिति से जूझ रहीं कमलेश, रानी, फूलन देवी, विमला, हेमलता, अनीता, मायावती, कुसमा, किरन, रश्मि भी अब तक शामिल हो चुकी थीं। इन्होंने बताया कि गांव के स्कूल के पास जुआ खेला जाता था। एक दिन वे लोग लाठियां लेकर पहुंची तो सारे जुआरी वहां से भागे। मुन्नी ने कहा कि अब उनके पति भले ही काम न करें लेकिन शराब-जुआ बंद होने से उनका परिवार खुश है। अन्य घरों में भी अब कलह नहीं होती और कई घर बर्बाद होने से बच गये हैं।

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