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अक्षर ज्ञान से वंचित एक चौथाई आबादी

मुक्त विचार
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सरकारी आंकड़ों में भी जालौन जिला पूर्ण साक्षर नहीं हो पाया है जबकि प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम से लेकर साक्षरता अभियान तक कई दशकों की कवायद निरक्षरता मिटाने के लिए हो चुकी है। अब जिले को फिर साक्षर भारत अभियान में शामिल कर पांच वर्षों में पूर्ण निरक्षरता उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
सन 2001 में जिले की औसत साक्षरता 64.15 प्रतिशत थी जबकि अब यह आंकड़ा बढ़कर 75.16 प्रतिशत पर पहुंच गया है। महिलायें अभी भी पुरुषों की तुलना में पिछड़ी हुयी हैं। जहां 2001 में 77.39 प्रतिशत पुरुष साक्षर थे वहीं नयी जनगणना में 84.89 प्रतिशत पुरुष साक्षर हो गये हैं जबकि महिला साक्षरता का प्रतिशत 10 वर्षों में 49.21 से बढ़कर 63.88 प्रतिशत हो गया है। परमार्थ स्वयं सेवी संस्था के संजय सिंह ने कहा कि साक्षरता के आंकड़ों में बहुत प्रतिशत ऐसे लोगों का है जो अपने हस्ताक्षर भर किसी तरह बना पाते हैं। उन्हें साक्षर मानना आत्म प्रवंचना है और अगर उन्हें घटा दिया जाये तो आशंका है कि कुल साक्षरता का आंकड़ा 60 से भी नीचे थम जायेगा। उनका कहना है कि सरकारी प्रयासों के बजाय नि:स्वार्थ स्वयं सेवियों को इसके लिए आगे आना होगा। पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद त्रिपाठी ने कहा है कि निरक्षरों को लिखने पढऩे में सक्षम बनाने को पेंशनर्स अभियान के बतौर जुटेंगे। समर्पण जन कल्याण जन संस्थान के राधेकृष्ण ने कहा कि सभी के लिए कंप्यूटर साक्षरता की बात हो रही है और अभी भी बड़ी आबादी अक्षर ज्ञान तक से वंचित है यह विडंबना है। जिला बेसिक शिक्षाधिकारी वरुण कुमार सिंह ने बताया कि साक्षर भारत मिशन के तहत ब्लाक स्तर तक लोक शिक्षा समितियों का गठन पूर्ण हो चुका है। प्रेरकों के चयन की प्रक्रिया पूरी की जा रही है जो ग्राम पंचायत स्तर तक कार्यरत रहेंगे।
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लिंग         जनगणना वर्ष   कुल साक्षर
पुरुष               2001          509536
——                2011           661434
महिला           2001         272497
——-            2011         489414
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ग्रामीण                         798371
शहरी                           292477
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