गरीबी के खिलाफ जंग की सरकारी योजना का दम मंजिल पर पहुंचने के पहले ही फूल गया। 10 वर्षों में सभी बीपीएल परिवारों को गुजारा लायक आमदनी में सक्षम बनाने का लक्ष्य स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत निर्धारित किया गया था। हालत यह है कि उत्तर प्रदेश के जनपद जालौन में एक तिहाई परिवारों को मदद भी अभी तक नहीं की जा सकी है। यह एक अलग प्रसंग है कि जिन परिवारों की मदद हुयी है उनको भी सार्थक लाभ नहीं मिल पाया है।
तीन सूत्री मदद कार्यक्रम
स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना में तीन सूत्री मदद कार्यक्रम तय है। मुख्य रूप से बीपीएल परिवारों के समूह गठित कराकर उन्हें सामूहिक व्यवसाय खोलने में मदद दी जानी है। निजी स्वरोजगार योजना को भी अनुदान सहित बैंकों से वित्त पोषित कराने की व्यवस्था है। इसके अलावा किसी स्थापित व्यवसायिक कंपनी से हर बीपीएल परिवार के एक व्यक्ति को रोजगार परक प्रशिक्षण दिलाने के साथ-साथ जॉब की गारंटी कराने का कार्यक्रम भी चलाया जाता है।
भैंस पालन तक सिमटा कार्यक्रम
जालौन जिले में स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार कार्यक्रम भैंस पालन तक सिमटकर रह गया है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 734 समूहों के गठन का लक्ष्य है जिसके सापेक्ष 165 समूह गठित कराये गये। 301 समूहों के वित्त पोषण का लक्ष्य है जिसमें 110 की पूर्ति हो चुकी है। व्यक्तिगत वित्त पोषण के 187 के लक्ष्य में 70 की पूर्ति हुयी है। योजना के संचालन से अभी तक 47730 समूह गठित हुए जिनमें सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1375 ही निष्क्रिय हुए हैं जबकि जमीनी हालत यह है कि 75 फीसदी से ज्यादा समूह फ्लाप हो चुके हैं चाहे समूह की परियोजना हो या निजी परियोजना व्यवसाय के नाम पर ज्यादातर भैंस पालन के प्रस्ताव भेजे जाते हैं। बैंडबाजा, दोना पत्तल, मूंज तैयार करने, टेंट हाउस आदि व्यवसायों के लिए न के बराबर प्रयास किया गया है।
बैंकों से पीड़ित
लाभार्थी से लेकर ग्रामीण कैडर के सरकारी कर्मचारी तक योजना के लक्ष्यों की पूर्ति में बैंकों के रवैये को सबसे बड़ी रुकावट मानते हैं। रामपुरा ब्लाक के मजीठ गांव के ओमप्रकाश ने कहा कि बैंक में वित्त पोषण के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ता है। 10 प्रतिशत कमीशन लिए बिना फाइल मंजूर नहीं होती। कुठौंद ब्लाक के शंकरपुर निवासी शंकर शरण ने भी यही बात कही। उन्होंने आरोप लगाया कि सभी बैंकों में दलाली हावी हैं।
केवल 33 हजार को लाभ
जालौन जिले में ग्रामीण क्षेत्र में 1 लाख 2 हजार 962 परिवार बीपीएल सूची में दर्ज हैं। अभी तक 33788 परिवारों को ही सहायता दी गयी है। परियोजना निदेशक श्रीकृष्ण पांडेय ने कहा कि प्रति वर्ष का लक्ष्य शासन से निर्धारित होता है। उसी के अनुरूप लोगों को लाभान्वित किया जा सकता है।
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