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गरीब छात्राओं को कंप्यूटर प्रशिक्षण की रकम डकारी

मुक्त विचार
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महिला कल्याण निगम द्वारा संचालित महिलाओं के लिये स्व रोजगार योजना के तहत फतेहपुर की एक स्वयंसेवी संस्था ने जालौन जिले के सभी ब्लाकों में कंप्यूटर प्रशिक्षण का तीन महीने का कोर्स कागजों पर कराकर भुगतान हड़पने की कोशिश की। जांच में मामला पकड़ में आ गया। पता चला है कि संस्था ने जिन सेंटरों पर प्रशिक्षण दिखाया है उनमें से कुछ का तो अस्तित्व ही नहीं है। जहां आधा अधूरा प्रशिक्षण भी दिया गया है वहां न तो छात्राओं को टूल किट दी गयी और न ही मानदेय। यहां तक कि प्रमाण पत्र भी उपलब्ध नहीं कराया गया है।
योजना के तहत प्रत्येक ब्लाक में बीपीएल परिवार की 30-30 छात्राओं को 3-3 महीने का नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाना था। इसमें टूल किट की व्यवस्था भी नि:शुल्क ही करनी थी और डेढ़-डेढ़ हजार रुपये प्रत्येक प्रशिक्षणार्थी को मानदेय दिया जाना था। जब भुगतान की प्रक्रिया में यह मामला सत्यापन के लिये मुख्य विकास अधिकारी के पास आया तो उन्होंने जिले के अधिकारियों से पूछताछ की। जब सभी ने अनभिज्ञता प्रकट की तो उनका माथा ठनका और उन्होंने सत्यापन कराने का फैसला किया। डकोर में केटीआई कंप्यूटर सेंटर नाम की संस्था में प्रशिक्षण दिखाया गया था लेकिन यह संस्था धरातल पर मौजूद ही नहीं है। कुठौंद में केआईटीआई कंप्यूटर सेंटर के आलोक अवस्थी ने कहा कि उनके यहां कोई प्रशिक्षण नहीं हुआ। नदीगांव में राधे कंप्यूटर सेंटर के प्रबंधक आलोक कुमार झा ने बताया कि उनके यहां फतेहपुर के मानव सेवा संस्थान के प्रतिनिधियों ने छात्राओं को कंप्यूटर की कुछ बेसिक जानकारियां दी थीं प्रशिक्षण नहीं हुआ। कोंच के स्पीटी एकेडमी सेंटर के रोहित कुमार निरंजन ने बताया कि कालपी के महेश गुप्ता ने प्रशिक्षण की जानकारी देकर उनके यहां की 30 छात्राओं के फार्म लिये थे। एक महीने बाद उन्होंने तथाकथित प्रशिक्षण बंद कर दिया क्योंकि उनको कोई खर्चा नहीं दिया गया था। छात्राओं को न तो मानदेय मिला न टूल किट। रामपुरा के ओमसाईं कंप्यूटर सेंटर के प्रबंधक ने अपने यहां कोई प्रशिक्षण कार्यक्रम होने से तो इनकार किया लेकिन वे लिखित बयान देने को तैयार नहीं हुये। माधौगढ़ में चितौरा बस स्टाप के पास स्थित प्रिंस आकलैंड ऑफ कंप्यूटर सेंटर के प्रबंधक विष्णुपाल सिंह ने बताया कि उन्हें संस्था के प्रतिनिधि ने बैनर व उपस्थिति पंजिका उपलब्ध करायी थी लेकिन छात्राओं को न टूल किट दी गयी न ही मानदेय। यही बात आईसीएल कंप्यूटर सेंटर टरननगंज कालपी के प्रबंधक संदीप शर्मा और सफल सॉफ्टवेयर जालौन के गौरव गुप्ता ने भी कही। मैक्रा कंप्यूटर सेंटर कदौरा के प्रबंधक सुशील कुमार सैनी ने बताया कि संस्था के लोगों ने 30 रुपये प्रति छात्रा के हिसाब से भुगतान देने की बात कही थी जिसे उन्होंने लौटा दिया।

जांच अधिकारियों को संस्था के अध्यक्ष ने पीएनबी की लखनऊ की एक शाखा से बनीं प्रशिक्षणार्थियों के भुगतान की चेकों की फोटो प्रति दिखाईं लेकिन इसे फर्जी माना गया है। जांच टीम में शामिल रहे पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी राजेश बघेल ने माना कि छात्राओं को उक्त कंप्यूटर प्रशिक्षण के मामले में अनियमितता हुयी है लेकिन उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट शासन को भेजी जा रही है। वे इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं बता सकते।

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