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हवा बदली, मदरसों में आधुनिकीकरण की होड़

मुक्त विचार
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सरकार की आधुनिकीकरण योजना से शुरूआत में छिटकने वाले मदरसों में अब इसके लिए होड़ मची है। जालौन जिले में 7 नये मदरसों की मान्यता मंजूर कर ली गयी है। वर्ष 06-07 से केंद्र सरकार ने मदरसों में दीनी तालीम पाने वाले छात्रों को व्यवहारिक जीवन में सक्षम बनाकर समाज की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए आधुनिकीकरण की योजना घोषित की जिसके तहत संविदा पर भाषा, विज्ञान और गणित के अध्यापक मदरसों में नियुक्त करने का खर्चा सरकार ने उठाने का फैसला किया।
शुरू में मौलवियों ने इस फैसले को शक की निगाह से देखा। उन्हें आशंका हुयी कि इस बहाने सरकार मदरसों में अपना दखल कायम करने की रचना रच रही है। इस शुबहा के चलते 08-09 तक मात्र 6 मदरसे आधुनिकीकरण के लिए आगे आये। इसी वर्ष केंद्र सरकार ने आधुनिकीकरण योजना में शामिल करने के मानक बदल दिये जिसके बाद योजना में शामिल पुराने मदरसों को भी नवीनीकरण कराना था पर गलतफहमी में ज्यादातर यह औपचारिकता पूरी नहीं कर पाये। नतीजतन 10-11 व 11-12 में किसी मदरसे को जिले में आधुनिकीकरण अनुदान नहीं मिला। वर्तमान वित्तीय वर्ष में आधुनिकीकरण के लिए मदरसों के आगे आने का तांता लगा है। जनपद में 41 मान्यता प्राप्त मदरसों में 36 संचालित हैं जिनमें से 21 ने आधुनिकीकरण के लिए आवेदन किये हैं। वित्तीय वर्ष की शुरूआत में 5 को आधुनिकीकरण के अनुदान का बजट भेजा गया था। अब 7 का और आ गया है। अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी राजेश बघेल ने बताया कि आधुनिकीकरण के लिए मदरसों की मान्यता 3 वर्ष पहले की होना अनिवार्य है। कई मदरसों को मान्यता नयी है इस कारण वे आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिले में कुल मिलाकर आधा दर्जन से भी कम मदरसे ऐसे होंगे जो मान्यता के लिए भी आवेदन नहीं करना चाहते। खानकाह शरीफ कालपी के मदरसे तक ने मान्यता ले ली है। अब मदरसा संचालकों को सरकार से कोई परहेज नहीं रह गया।

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