आर्थिक मदद योजना के आवेदकों का मंजूरी के पहले कड़ा परीक्षण होता है। यह योजना उन गरीब परिवारों को मासिक पेंशन देने के लिए है जिनके नाम न तो बीपीएल सूची में हैं न ही किसी सरकारी योजना में इनको लाभ दिया जा सका है। पूरी सतर्कता के बावजूद खाते पीते लोग योजना में सेंध लगाने में सफल हो रहे हैं। आर्थिक मदद योजना में छह महीने की पेंशन एकमुश्त खाते में भेजी जाती है। हर वर्ष पुरानी सूची के सत्यापन के बाद अगली किश्त भेजने का नियम है। जालौन जिले में 36 हजार 200 से ज्यादा पुराने सूची के लाभार्थियों का लेखपालों के माध्यम से सत्यापन कराया गया तो लगभग 600 लाभार्थी ऐसे निकले जिनके पास बाइक, पक्का मकान या ऐसी कोई अन्य सुविधा है जिससे वे मदद योजना के लिए अर्ह नहीं हो सकते। फर्जी लाभार्थियों के खिलाफ जब पिछली पेंशन हड़पने के लिए एफआईआर की नौबत आयी तो वे जन प्रतिनिधियों का सहारा लेकर अधिकारियों के चौखट पर चढ़ आये। उन्होंने लेखपालों की रिपोर्ट को गलत ठहराते हुए बताये गये साधन अपने पास होने से इंकार किया है। समाज कल्याण अधिकारी एके सिंह ने कहा कि लेखपालों की चूक से किसी गरीब का अहित न हो जाये इसलिए उनके प्रत्यावेदन संज्ञान में लिये जा रहे हैं और पुन: सत्यापन कराया जा रहा है।
गरीबों के लिए खजाना तंग
सरकार गरीबों की मदद के लिए घोषणायें तो कर देती है लेकिन इसके बाद उसका खजाना तंग होने लगता है। पिछले वित्तीय वर्ष में बजट के कारण 1200 लाभार्थी दूसरी किश्त पाने से वंचित रह गये थे। उनके लिए बार-बार बजट की डिमांड भेजी गयी जो अभी तक नहीं मिला है। उधर इस बार भी लाभार्थियों की सूची के लिए अपेक्षित धन से 80 लाख रुपए कम मिले हैं। समाज कल्याण अधिकारी ने बताया कि बजट का अभी बैंकों को बंटवारा नहीं किया गया है। अंतिम सत्यापन होने के बाद बजट बैंकों को लाभार्थियों के खाते में भेजने के लिए दिया जायेगा।
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