वयस्क आबादी से ज्यादा मतदाता हों क्या यह संभव है इसका उत्तर तो ‘न’ में ही होगा लेकिन जालौन जिले की वोटर लिस्ट में दर्ज मतदाताओं का आंकड़ा यही कमाल दिखा रहा है।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने काफी ठोक बजाकर यह माना है कि कुल आबादी में 18 वर्ष से अधिक आयु के लोग 61.3 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकते लेकिन जिले में मतदाताओं का औसत (इपिक एवरेज) 71 प्रतिशत है। उरई तहसील में तो यह प्रतिशत 71.25 है। अधिकारी भी मानते हैं कि यह आंकड़े विश्वसनीय नहीं हो सकते। ऐसा लगता है कि किशोरों और बाहर रहने वाले लोगों के नाम से वोट बनवा लिये गये हैं। उरई के उप जिलाधिकारी आनंद कुमार शुक्ला ने बताया कि 31 अक्टूबर तक चलने वाले संक्षिप्त मतदाता पुनरीक्षण अभियान में बारीकी से छानबीन की जा रही है ताकि फर्जी मतदाताओं को सूची से अलग कर संतुलित वोटर लिस्ट बनायी जा सके। साथ-साथ में 18 साल की आयु प्राप्त कर चुके युवकों के नाम मतदाता सूची में जोडऩे, दिवंगतों के हटाने और गलत नाम, बल्दियत या पता को संशोधित करने को कार्रवाई की जा रही है। अभी तक अभियान में 4134 नये मतदाताओं के नाम बढ़ाये गये हैं जबकि 217 लोगों के ही नाम कट सके हैं। 875 संशोधन हुए हैं।
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