गन्ने की प्यासी फसल का रस निचुड़ा जा रहा है। अभी तक नहर में पानी न पहुंचने से अंतिम सिंचाई न कर पाने के कारण गन्ना किसानों के चेहरों पर हवाइयां उडऩे लगी हैं। जनपद जालौन के माधौगढ़ क्षेत्र में लगभग 700 हेक्टेयर में गन्ना बोया गया है। गन्ने की फसल कुछ दिनों पहले तक अच्छी लहलहा रही थी लेकिन एक पखवारे से ज्यादा समय से नहर चलने के बावजूद यहां के किसान पानी देखने के लिए तरस रहे हैं जिससे फसल को भारी झटका लगा है। खेत सूखे होने के कारण फसल में दीमक अलग लग चुका है। प्रगतिशील किसान जंडैल सिंह ने बताया कि पेराई का समय नजदीक आ गयी है। हो सकता है कि बिना आखिरी सिंचाई के गन्ना कटवाना पड़े ऐसी हालत में आधा रस कम हो जायेगा। हाल में कुटीर उद्योग के रूप में इस क्षेत्र में मिनी गन्ना पेराई मिलों ने तेजी से पैर पसारे हैं जिनसे 10 हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है। फसल की बिगड़ती हुयी हालत देख मिनी पेराई मिल चलाने वाले भी बेचैन हैं। आलू की बुआई प्रभावित मिट्टी अच्छी होने के कारण इस क्षेत्र में कई फसलें होती हैं। आलू की भी बुआई का यही समय है लेकिन नहर न चलने से किसान पलेवा नहीं कर पा रहे। वे किसान ज्यादा चिंतित हैं जिन्होंने दूसरे की खेती नकद में जोत रखी है। वे 60 दिन में आलू खोद लेते हैं इसके बाद दिसंबर में उसी खेत में गेहूं की बुआई हो जाती है।
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