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मृग मरीचिका साबित हुआ बुंदेलखंड विकास पैकेज

मुक्त विचार
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बुंदेलखंड में सूखे से उत्पन्न समस्याओं के हल के लिए घोषित केंद्रीय पैकेज मृग मरीचिका साबित होकर रह गया। न तो सामुदायिक नलकूप बन पाये हैं, न ही मंडियां। बेतवा नहर प्रणाली के पुनरुद्धार के लिए भी नाम मात्र का काम हुआ है। खेत तालाब जैसी कई परियोजनायें अव्यवहारिक होने के कारण रद्द करनी पड़ीं। भूमि सुधार एवं जल संसाधन विकास विभाग और राष्ट्रीय जलागम कृषि विभाग द्वारा डुप्लीकेसी की कोशिश पकड़ी गयी। लघु सिंचाई की डगवैल रीचार्ज योजना को दिखावटी काम की वजह से ही बीच में रोक दिया गया।
पैकेज में सबसे ज्यादा बजट भूमि विकास एवं जल संसाधन विभाग के लिए प्रावधानित किया गया था लेकिन इसमें सबसे कम प्रतिशत खर्च हुआ है। जालौन जनपद में 1 अरब 88 करोड़ 79 लाख रुपए के तय किये गये बजट में विभाग को 73.99 करोड़ रुपए अवमुक्त हो चुके हैं। इसमें 29 करोड़ 12 लाख रुपए खर्च दिखाये गये हैं। इसके तहत वर्षा जल सिंचित करने के लिए संरचनाओं का निर्माण होना था लेकिन अभी तक इंट्री प्वाइंट के कार्य ही मुख्य रूप से कराये गये हैं जिनका पैकेज के लक्ष्य से कोई संबंध नहीं है। गत वर्ष नयी दिल्ली में राहुल गांधी, डा. मोंटेक सिंह अहलूवालिया और डा. जेएस सामरा की उपस्थिति में बुंदेलखंड पैकेज पर आयोजित कार्यशाला में रिनिया बैदेपुर, ऊंचा भीमनगर, हरौली और गुढ़ा भगवानपुरा के ग्रामीणों ने इन कार्यों में हुयी डुप्लीकेसी के प्रमाण दिये थे लेकिन किसी पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुयी। राष्ट्रीय जलागम ने उन्हीं इलाकों में वाटर शेड बनाने की कार्य योजना प्रस्तावित कर दी जो पहले भूमि सुधार एवं जल संसाधन विभाग द्वारा आच्छादित किये जा चुके थे। डुप्लीकेसी मानकर ऐसी 5 परियोजनाओं को निरस्त कर दिया गया है।
जिला मुख्यालय के नजदीक बड़ी मंडी और 26 लघु ग्रामीण मंडियों के लिए 1 अरब रुपए से अधिक का बजट जाम है। यहां तक कि 1 करोड़ 92 लाख रुपए के जो कार्य कराये गये हैं उनका भी भुगतान नहीं किया गया है और सभी कार्य आरंभिक स्तर पर ही रोक दिये गये हैं। लिफ्ट सिंचाई की पूर्व से संचालित 6 इकाइयों के पुनरुद्धार के लिए किया गया भारी भरकम खर्च भी बेकार चला गया। एक भी इकाई से इस वर्ष किसानों को सिंचाई की सुविधा नहीं मिल पायी। पशु पालन विभाग में निदेशालय स्तर से प्रयोगशाला भवन निर्माण के लिए जल निगम सीएंडडीएस यूनिट को कार्यदायी संस्था नामित कर दिया गया है। जिले के अधिकारियों का नियंत्रण न होने से उसका काम ढीला है और बीस में से 10 जगह काम की शुरूआत तक नहीं करायी गयी है।

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