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मनरेगा के बजट पर कुंडली मारकर बैठ जाते विभाग

मुक्त विचार
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गरीबों की मददगार कही जाने वाली मनरेगा के बजट पर विभाग कुंडली मारकर बैठ जाते हैं, जिससे गरीबों तक असली लाभ नहीं पहुंच पाता। अब जरूर इन विभागों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है। पिछले वित्तीय वर्ष में भारी भरकम अवशेष होने के बावजूद नये बजट की मांग करने वाले विभागों को इस बार एक धेला नहीं दिया गया। जालौन जनपद में लघु सिंचाई विभाग से तो डीएम ने 2 करोड़ रुपए की धनराशि सरेंडर करा ली है। हालत यह है कि इसके बावजूद पिछले वित्तीय वर्ष का पूरा बजट अभी भी खर्च नहीं हो पाया है। तमाम विभागों के इस रवैये से जाबकार्ड धारकों के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा कार्य दिवस सृजित करने के सरकार के मंसूबे बाधित हो रहे हैं।
जानकार सूत्रों का कहना है कि ज्यादातर निर्माण विभागों में छद्म मजदूरों के नाम भरकर भुगतान निकालने की परंपरा चली आ रही है। जाबकार्ड नंबरों पर भुगतान करने से उन्हें अपनी पूरी कार्य परंपरा में बदलाव करना पड़ सकता है। यही वजह है कि बजट लेने के बाद भी विभाग मनरेगा का काम कराने से मुंह चुराते हैं। मुख्य विकास अधिकारी अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि वे किसी विभाग पर दोषारोपण नहीं कराना चाहते। कई मामलों में तो शासन स्तर से कार्य योजना रद्द की जाने की वजह से काम नहीं हो सका। इसके बावजूद उन्होंने माना कि निर्माण विभागों में मनरेगा का काम कराने की इच्छाशक्ति नहीं है। जिलाधिकारी ने बजट खर्च न करने वाले विभागाध्यक्षों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उनके प्रमुख सचिवों को पत्र भेजा है।
लोक निर्माण विभाग के विभिन्न खंडों और ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को वित्तीय वर्ष 2011-12 में 3 करोड़ 7 लाख का बजट खर्च नहीं किया गया था। वर्तमान वित्तीय वर्ष में कोई बजट जारी न होने के बावजूद डीएम के काफी सख्ती करने पर भी पिछले अवशेष का 1 करोड़ 90 लाख रुपए ही अभी तक खर्च किया जा सका है। सिंचाई से संबंधित विभिन्न विभागों के पास 1 करोड़ 52 लाख 28 हजार रुपए पिछला बकाया था जबकि 80 लाख रुपए वर्तमान वित्तीय वर्ष में जारी हुए। इसमें अभी तक केवल 96 लाख 89 हजार रुपए व्यय हो पाये हैं। कृषि विभाग की विभिन्न जलागम इकाइयों के पास 24 लाख रुपए 1 अप्रैल 2012 को बाकी थे। इसमें से अब 23 लाख 25 हजार रुपए खर्च हो गये हैं। इस वर्ष संबंधित विभागों की स्वीकृत परियोजनाओं के लिए 24 करोड़ 61 लाख रुपए के खर्च का अनुमान किया गया था। पिछले बजट का उपभोग न होने की वजह से नहर विभाग को छोड़कर किसी को भी इसके सापेक्ष धेला जारी नहीं किया गया है। डीएम ने विभागों से कहा है कि या तो वे अपनी स्वीकृत परियोजनाएं कार्य कराने में असमर्थता जाहिर कर रद्द करायें या उन पर तत्काल काम शुरू करायें। हीलाहवाली जारी रही तो कार्रवाई होगी।

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