उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए कर्ज माफी की घोषणा को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुयी है। इसके कारण किसान बैंकों का बकाया नहीं चुका रहे। बैंक इस स्थिति से परेशान है। जब बैंकों ने कुछ किसानों के खिलाफ रिकवरी नोटिस जारी कर तहसीलों में भिजवाये तो कई संग्रह कर्मचारियों ने उनकी वापसी कर दी। अब बकाया जमा कराने के लिए बैंकों द्वारा किसानों को राजी-वाजी से तैयार करने के जतन हो रहे हैं। प्राकृतिक आपदाओं से जूझने वाले बुंदेलखंड के जालौन जिले में ही देखें तो यहां लगभग 2 लाख 34 हजार किसानों को बैंकों से क्रेडिट कार्ड जारी हैं। खरीफ फसल के लिए इस पर ऋण लेने वाले किसानों को 31 मार्च तक और रबी सीजन के कर्ज की अदायगी 30 जून तक कर दी जानी चाहिए। ऐसा होने पर मात्र 4 प्रतिशत ब्याज वसूला जाता है। अंतिम समय सीमा गुजर जाने के बाद 12 से लेकर 13 प्रतिशत तक ब्याज के साथ वसूली के लिए उत्पीडऩात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। वैसे तो अन्य ऋण में जिले में एक अरब दो करोड़ रुपए से अधिक की चुकता न होने वाली बकायेदारी से संबंधित खाते बैंकों ने जाम कर दिये हैं लेकिन 12 अरब 53 करोड़ के कुल वितरित कृषि ऋण की बकायेदारी को लेकर बैंकें जान बूझकर एनपीए का आंकलन प्रस्तुत नहीं कर रहीं। इस बीच लगभग 3600 किसानों के खिलाफ तहसीलों को आरसी भेजी गयी थी उनमें से अभी तक लगभग 450 आरसी संग्रह कर्मचारियों ने यह हवाला देते हुए वापस भेज दी हैं कि उच्च न्यायालय द्वारा रिट संख्या 34465/2011 पर पारित फैसले के संदर्भ में शासनादेश 160/13 सीआरएसीपी के मुताबिक बुंदेलखंड के जिलों में किसानों के साथ वसूली के लिए उत्पीडऩात्मक कार्रवाई करने पर रोक है। संग्रह कर्मचारियों के इस रवैये के बाद बैंकों ने सतर्क रुख अपना लिया है।
अग्रणी बैंक के मुख्य जिला प्रबंधक डा. शुभाशीष भट्टचार्य ने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड के नवीनीकरण के लिए पिछले बकाया को टर्म लोन में बदलने की सुविधा कृषकों को दी जा रही है। इससे वर्तमान वित्तमान के अनुरूप उन्हें बकाया के बावजूद नया कर्ज लेने का भी अवसर मिलेगा, साथ ही वे कृषि बीमा और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा के भी हकदार हो जायेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार ने केवल भूमि विकास बैंक से ऋण लेने वाले किसानों को माफी का लाभ दिया है। राष्ट्रीयकृत बैंकों के बकायेदार किसानों के लिए माफी का कोई आदेश नहीं भेजा गया है।
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